Loksadan। माटी अधिकार मंच के द्वारा भूविस्थापितों प्रभावितों की समस्याओं के संबंध में 10 सूत्रीय मांग पत्र एसईसीएल महाप्रबंधक कुसमुंडा को सौंपी गई है । जिसके संबंध में 9 सितंबर को एसईसीएल कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का गेट जाम हड़ताल किया जाएगा । जिसमें पुराने अर्जन एवं नए अर्जन से प्रभावित ग्रामीण उपस्थित रहेंगे ।
पुराने रोजगार प्रकरण का आज तक निराकरण नहीं
कुसमुंडा परियोजना की शुरुआत 1978 – 79 से हुई है । तत्कालीन समय में जिन ग्रामों का अधिग्रहण किया गया है । उन गांवो के बहुत से खातेदारों को आज भी रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है । पुराने अर्जन के खातेदारों को अर्जन के बाद जन्म , खाता संयोजन संबंधी कारणों से रोजगार से वंचित किया गया है , जबकि इस तरह का कोई नियम तत्कालीन मध्य प्रदेश शासन के द्वारा नहीं लाया गया है । मध्य शासन के द्वारा जनवरी 1983 में प्रत्येक खाते में कम से कम एक नौकरी देने का आदेश जारी किया गया था । जिसका पालन नहीं किया जा रहा है । आदेश का पालन नहीं करने से पुराने रोजगार के प्रकरण लंबित हैं जिसके कारण बार-बार आंदोलन की स्थिति निर्मित हो रही है । अर्जन के बाद जन्म संबंधी प्रकरण के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा भी आदेश पारित किया गया है । जिससे स्पष्ट हो गया है कि , अर्जन के बाद जन्मा व्यक्ति भी रोजगार के लिए पात्र है ।
अधिग्रहण के 15 वर्ष बाद भी भूमि का मुआवजा नहीं , ग्रामीण परेशान
एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के द्वारा 1978 से लगातार कोल उत्खनन हेतु अभी तक ग्राम जरहाजेल , दूरपा , बरपाली , गेवरा , खम्हरिया, दुल्लापुर , बरमपुर , भैंसमाखार , मनगांव , जटराज , सोनपुरी , बरकुटा , पाली , पड़निया , रिसदी , खोडरी , चुरैल , अमगांव , खैरभावना आदि का अधिग्रहण किया जा चुका है । इसमें से अभी तक ग्राम सोनपुरी , गेवराबस्ती , अमगांव , चुरैल , खैरभवना में मुआवजा , रोजगार की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है । ग्रामीणों को शीघ्र मुआवजा प्रदान करने का आश्वासन देकर गुमराह किया जा रहा है । जिसमें से ग्राम सोनपुरी का अधिग्रहण किए 15 वर्ष हो गए हैं ।
शासकीय भूमि के प्रधानमंत्री आवासधारी पुनर्वास से वंचित
सभी ग्रामों में कमजोर वर्ग के लोगों को प्रधानमंत्री आवास आवंटित किया गया है । जिनका मकान ज्यादातर शासकीय भूमि पर निर्मित है एवं ऐसे आवासधारी जिनका मकान दूसरे व्यक्ति की भूमि पर बना हुआ है । प्रबंधन के अनुसार पुनर्वास की पात्रता नहीं रखते हैं । केंद्र सरकार के द्वारा आवासहीन लोगों को बसाया जा रहा है । इसके विपरीत एसईसीएल के द्वारा ऐसे लोगों को बेघर किया जा रहा है ।
माटी अधिकार मंच के द्वारा विस्थापितों के संबंध में लगातार , आंदोलन किया जा रहा है । भविष्य में विस्थापितों के हित में यह आंदोलन लगातार जारी रहेगा ।