बीजापुर – जिला शिक्षा कार्यालय में इन दिनों फाइलें कम और विवाद ज्यादा घूम रहे हैं। कारण है एक कुर्सी पर दो जिला शिक्षा अधिकारी। दोनों खुद को वैध, दोनों आदेश जारी करने में सक्रिय और पूरा शिक्षा महकमा असमंजस में डूबा हुआ।
दरअसल, 10 जुलाई को छत्तीसगढ़ शासन ने आदेश जारी कर जगदलपुर के सहायक संचालक राजकुमार कठौते को बीजापुर का नया डीईओ नियुक्त किया, वहीं पूर्व डीईओ लखनलाल धनेलिया का तबादला माकड़ी (कोंडागांव) कर दिया गया। लेकिन धनेलिया ने इसे मनमाना और सेवा नियमों के विरुद्ध बताते हुए हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट ने तबादले पर तत्काल रोक लगाते हुए स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता अपनी बात स्थानांतरण समिति के समक्ष रखें, और समिति 15 दिन में निर्णय सुनाए। लेकिन इसी आदेश को लेकर विभाग के भीतर कानूनी तकरार शुरू हो गई है। कठौते का दावा है – उन्हें विधिवत नियुक्त किया गया है और कोर्ट ने रोक नहीं लगाई। वहीं धनेलिया कहते हैं – 6 माह के भीतर किया गया तबादला नियमों का उल्लंघन है, इसलिए वे अब भी पद पर बने रहने के अधिकारी हैं।
इस खींचतान ने पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था को ‘प्रशासनिक अपंगता’ में धकेल दिया है।
शिक्षक दो आदेशों के बीच फंसे हैं, किसके निर्देश माने यह तय करना भी चुनौती बन गया है। स्कूलों का संचालन, शैक्षणिक निगरानी और प्रशासनिक समन्वय लगभग ठप हो चुका है।
एक ओर अफसर अपने अस्तित्व की लड़ाई कागजों पर लड़ रहे हैं, दूसरी ओर स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई, योजनाओं का क्रियान्वयन और शिक्षकों का मार्गदर्शन अधर में लटका है।
इस द्वंद का सबसे बड़ा नुकसान उन नौनिहालों को हो रहा है, जिनका भविष्य अफसरशाही की लड़ाई से दांव पर लग गया है।
अब निगाहें स्थानांतरण समिति के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि बीजापुर की शिक्षा की बागडोर किसके हाथों में होगी। लेकिन तब तक यह सवाल अपनी जगह कायम है –
जब व्यवस्था खुद भ्रम में हो, तो भरोसा किससे करें शिक्षक और छात्र?