बीजापुर – जिले के सुदूरवर्ती गांव अब सिर्फ जल आपूर्ति की दृष्टि से आत्मनिर्भर नहीं रहे, बल्कि अब वे जल गुणवत्ता और स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर भी सजग हो चुके हैं। भोपालपटनम और उसूर विकासखंड के ग्राम बामनपुर, गुंजेपरती और नंबी ने जल जीवन मिशन के तहत जल जागरूकता की एक मिसाल पेश की है।
हालांकि इन गांवों में ‘हर घर नल से जल’ योजना के अंतर्गत पाइपलाइन से पीने योग्य पानी पहले से ही उपलब्ध था, लेकिन कई ग्रामीण अब भी परंपरागत आदतों के चलते नदी-नालों का पानी पीते थे। इससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरे बने हुए थे। स्थिति को बदलने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक अनोखा प्रयोग किया, जिसका असर ग्रामीणों पर गहरा पड़ा।
कलेक्टर संबित मिश्रा के निर्देश पर जल जीवन मिशन की समीक्षा के बाद तय हुआ कि ग्रामीणों को वैज्ञानिक तरीके से पानी की गुणवत्ता समझाई जाए। इस अभियान की ज़िम्मेदारी कार्यपालन अभियंता एस.आर. नेताम, सहायक अभियंता राहुल नाग और जगदीश कुमार देशमुख को सौंपी गई।
जिला जल परीक्षण प्रयोगशाला की केमिस्ट सपना मंडल और जिला परियोजना समन्वयक सुनील चिड़ियम की टीम गांव-गांव पहुंची और वहां की स्थानीय जनता – सरपंच, सचिव, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्रामीणों के समक्ष नदी के पानी और नल के पानी का परीक्षण किया। जब ग्रामीणों ने खुद देखा कि पारंपरिक स्रोतों का पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, जबकि नल का पानी सुरक्षित और स्वच्छ है, तो उन्होंने पीने के लिए केवल नल के पानी का उपयोग करने का संकल्प लिया।
ग्रामीणों ने इस पहल को ‘आँखें खोलने वाला अनुभव’ बताया और इसे अपने जीवन की आदतों में बदलाव का कारण माना।