प्रतिनिधि : भागीरथी यादव, कोरबा
Lokdadan. कोरबा। दर्री क्षेत्र की जनता इन दिनों भारी बिजली संकट से जूझ रही है। घंटों तक होने वाली अनियमित कटौती और वोल्टेज की समस्या ने आम लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। स्थिति यह है कि शाम ढलते ही पूरा इलाका अंधकार में डूब जाता है। लोग खुद को 21वीं सदी में नहीं बल्कि किसी “बिजली-विहीन युग” में जीने को मजबूर महसूस कर रहे हैं।
लोगों का दर्द – वादों का सच
क्षेत्रवासियों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने चुनावों के दौरान बिजली आपूर्ति को सुचारू बनाने और हर घर को रोशनी से जगमगाने के वादे किए थे। लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट है। आज भी ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्र बिजली कटौती और कम वोल्टेज की मार झेल रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि घरों में पंखे और बल्ब तक सही से नहीं जलते। बच्चे अंधेरे में मोमबत्ती या लालटेन की रोशनी में पढ़ने को मजबूर हैं। छोटे व्यापारी और दुकानदार अपने व्यवसाय को लेकर चिंतित हैं क्योंकि बिजली की अनियमित आपूर्ति से उनका कारोबार ठप हो जाता है। किसानों का कहना है कि खेतों की सिंचाई तक प्रभावित हो रही है।
भविष्य को लेकर चेतावनी
स्थानीय नागरिकों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस मूलभूत समस्या का समाधान जल्द नहीं किया, तो जनता अपनी नाराज़गी मतदान के जरिए ज़ाहिर करेगी। लोगों का कहना है कि जनता से बार-बार सिर्फ़ वादे करना आसान है, लेकिन उन वादों को पूरा करना ही असली जिम्मेदारी है।
जनता की आवाज़ – नाराज़गी नारों में बदली
⚡ “भाजपा सरकार में जनता का वनवास — बिजली बिना जीवन उदास”🌑 “दर्री क्षेत्र की रातें अंधेरी, सरकार के वादे निकले खोखले”
🕯️ “मोमबत्ती से पढ़ते बच्चे, भाजपा के वादे निकले कच्चे”
📢 “बिजली चाहिए… बहाने नहीं!”
दर्री क्षेत्र की बिजली समस्या आज सिर्फ तकनीकी या प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं रह गई है, बल्कि यह जनता की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा हुआ गंभीर मुद्दा है। यदि सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में जनता का यह गुस्सा राजनीति पर भारी पड़ सकता है।