Loksadan। पाली नुनेरा संकुल के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक शाला रंगोले मे सम्माननीय शिक्षकों एवं बच्चों के द्वारा महा महिम डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्मदिवस के पावन अवसर पर उनकी तैल चित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया बच्चों के द्वारा उपस्थित सभी शिक्षकों को तिलक लगाकर पुष्प गुच्छ, पेन,ग्रीटिंग कार्ड एवं गिफ्ट भेंट कर बारी-बारी से सम्मानित कर आशीर्वाद प्राप्त किये बच्चों के द्वारा भी शिक्षक की महिमा का कविता, श्लोक एवं रोचक कहानियों से प्रस्तुति दी गई. शिक्षकों के सादगी पूर्ण उद्बोधन ने गुरु के प्रति शिष्यों का कर्तव्य एवं शिष्यों के प्रति गुरु के कर्तव्य का अनुपम श्रद्धा के प्रतीक महामहिम डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवन शैली से सीखने का जो अवसर हम सबको मिला है उससे चूकना हमारी भूल होगी क्योंकि उन्होंने हर विपरीत परिस्थितियों मे भी धैर्य और शांति पूर्वक अपनी प्रबल बौद्धिक क्षमता से पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा उनके दृढ़ इच्छा शक्ति से सफलता के शिखर तक पहुंचने में कोई बाधाएं रोक न सके डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक ऐसे शिक्षक थे जो छात्रों को अत्यंत प्रिय थे. वे लगभग 40 वर्षों तक एक आदर्श शिक्षक के रूप में रहकर समाज को शिक्षित करते रहे उसके बाद सन 1952 में वे स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने और पुनः 10 साल बाद 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने.. शिक्षा और राजनीति दोनों ही क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यो को देखते हुए सन 1954 में भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देकर सम्मानित किया गया
शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यंत सराहनीय और अतुलनीय रहा जिसे यह देश कभी भुला नहीं सकता. यही कारण है कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्म दिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में पूरे भारत देश में धूमधाम से मनाया जाता है
मुख्य रूप से सम्मानीय शिक्षक श्री एस, के जायसवाल, श्री सुबन सिंह पैकरा, श्री विजय कुमार तंवर प्रधान पाठक, श्री विजय देवांगन, अतिथि शिक्षक ज्योति महंत एवं श्रीमती अनु लता कंवर एवं बच्चों ने पूरी उत्साह एवं तनमयता के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण सहभागिता निभाई