छत्तीसगढ़ प्रदेश के सीएसईबी मुख्यालय से आई टीम ने वितरण कंपनी में करोड़ों रुपये के एबीसी केबल घोटाले के लगे आरोप की जांच कर इसका खुलासा किया है।
जानकारी के अनुसार रायपुर से आयी इस जांच टीम ने पाया कि ठेकेदारों ने बिजली अधिकारियों के साथ मिलकर घटिया गुणवत्ता के केबल लगाए, जिससे बिजली आपूर्ति बार-बार बाधित हो रही है। इस मामले में चांपा-जांजगीर के कार्यपालन अभियंता और कोरबा के एक ईई को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, जांजगीर के सहायक अभियंता का तबादला बलौदा कर दिया गया। बिलासपुर और मुंगेली में जांच जारी है, और अन्य अधिकारियों पर भी कार्यवाही करने का अंदेशा जताया जा रहा हैं।
जानकारी देते हुए बताया जा रहा हैं की पिछले दो दिनों के भीतर रायपुर से गठित चार कार्यपालन अभियंताओं की टीम ने बिलासपुर और मुंगेली में सघन जांच की। बिलासपुर के सेंदरी और मुंगेली के स्टोर में रखे केबल, कंडक्टर और ट्रांसफार्मर के डीपी चैनल की जांच की गई। सैंपल लेने के बाद दोनों स्टोर सील कर दिए गए। जांच में पाया गया कि ठेकेदारों ने आईएसआई मार्क और बीआईएस प्रमाणित केबल की शर्तों का उल्लंघन करते हुए घटिया और स्थानीय ब्रांड के केबल इस्तेमाल किए। इन केबलों का इंसुलेशन जल्दी पिघल रहा है, जिससे बारिश में फाल्ट और स्पार्किंग की घटनाएं बढ़ गई हैं।
घटिया केबल आपूर्ति के लिए ठेकेदारों पर भी सख्ती शुरू हो गई है। दिल्ली की एथटी इलेक्ट्रिकल्स और जांजगीर के एक व्यक्ति को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है। जानकारी मिली है कि कंपनी मुख्यालय ने इन ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुणे की एसटी इलेक्ट्रिकल्स पर धीमे और खराब काम के लिए 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। जांच में यह भी सामने आया कि कई जगहों पर केबल लगाए बिना ही ठेकेदारों को पूरा भुगतान कर दिया गया।
जांच टीमें अब भी बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा और जांजगीर में सक्रिय हैं। बिलासपुर में 66.72 करोड़, कोरबा में 77 करोड़ और मुंगेली-पेंड्रा में 25.37 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए केबल की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। सेंदरी (बिलासपुर) और मुंगेली के स्टोरों में सामान की सैंपलिंग के बाद सीलिंग की गई। जांच में शामिल अधिकारियों में बिलासपुर के एम.एम. चंद्राकर, पी.के. सिंह, धर्मेंद्र भारती और नवीन राठी थे। स्थानीय स्तर पर अधीक्षण यंत्री पी.आर. साहू, कार्यपालन यंत्री हेमंत चंद्राकर और एम.के. पाण्डेय भी जांच में शामिल रहे।
उल्लेखनीय हैं की यह घोटाला पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत चल रहे काम में आया है। यह केंद्र और राज्य सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों की कार्यक्षमता और वित्तीय स्थिरता को बेहतर करना है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत बिजली चोरी रोकने, हानि कम करने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए स्मार्ट मीटरिंग और केबल उन्नयन जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
