भवन विहीन पंचायत: खुले मंच पर विकास के फैसले

 

Loksadan।   उपेक्षा: खनिज राजस्व सम्पन्न कोरबा जिले के विकास को मुह चिढ़ाता यह तस्वीर…..! इस ग्राम पंचायत के पास नही है खुद का पंचायत भवन, खुले मंच पर लिए जाते है ग्राम विकास योजनाओं के निर्णय*

 

कोरबा/पाली । इसे उपेक्षा और दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस जिले के खनिज राजस्व से दूसरे जिलों के विकास को पर लग रहे है, उसी जिले के एक ग्राम पंचायत का कामकाज संचालन भवन के अभाव में वर्षों से खुले मंच पर हो रहा है। इससे न केवल पंचायती कार्यों और बैठकें में बाधा आ रही है, बल्कि पंचायत के ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। कोरबा विधायक और उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में कलेक्टर अजीत वसंत ने जिले में 30 वर्ष पुराने और जर्जर हो चुके पंचायत भवनों तथा भवनविहीन पंचायतों में नवीन पंचायत कार्यालय भवन के लिए जिला खनिज न्यास मद से 9 करोड़ 20 लाख रुपए की स्वीकृति दी है। लेकिन अनेको बार मांग के बाद भी इस पंचायत को नवीन कार्यालय भवन से प्रशासन ने उपेक्षित रखा है। ऐसे में कोरबा के अपेक्षित विकास की बात करना बेमानी साबित होगी।

पाली जनपद पंचायत अंतर्गत वर्ष 1996- 97 में ग्राम पंचायत के अस्तित्व में आए डोंगानाला की यह तस्वीर है, जो कोरबा जिले के विकास के दावे को मुह चिढ़ा रहा है। इस पंचायत में ढाई दशक पूर्व निर्मित पंचायत भवन का आस्तित्व काफी जर्जर व खस्ताहाल होने से भवन को वर्षों पूर्व असुरक्षित मान ताला जड़ दिया गया है। इस हालात में पंचायत सरकार के पास खुद का भवन उपलब्ध नही होने से वे खुले मंच पर ग्राम सभा, बैठकें सहित अन्य पंचायती कामकाज का संचालन करने को विवश है। ढाई दशक पूर्व निर्मित भवन का हाल देखने से यह है कि बरसात के दिनों में छत का पानी रिसकर भीतर गिरता है, दीवारें काफी कमजोर हो चुकी है, जगह- जगह से प्लास्टर गिर रहे है। जिसके दयनीय स्थिति के कारण पंचायत प्रतिनिधि किसी अनहोनी की आशंका को लेकर भवन में ताला लगा दिए और पंचायत संचालन के लिए पास के एक मंच का सहारा लेना पड़ रहा है। भवन की कमी के कारण यहां ग्राम पंचायत की बैठकें खुले में होती है। जिससे सुविधाओं व सरकारी निर्णयों की गोपनीयता का अभाव होता है। ऐसे में पंचायत से जुड़े कार्य सम्पादित करने में बाधा आने के साथ ग्रामीणों की उपस्थिति व भागीदारी भी प्रभावित होती है। खासकर अगर मौसम खराब हो या ज्यादा लोग मौजूद हो, जिससे निर्णय लेने और बैठकों के आयोजन में दिक्कतें आती है। पंचायत भवन न होने से ग्रामीणों को भी सरकारी योजनाओं और सेवाओं के लिए भटकना पड़ता है एवं उन्हें उचित सेवाएं नही मिल पाती।

कहा जाए तो पंचायत भवन के अभाव में ग्राम सरकार अपना काम प्रभावी ढंग से नही कर पा रही है, जिससे विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में और स्थानीय समुदायों को परेशानी हो रही है। बता दें कि हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा जिले के लगभग 46 ग्राम पंचायतें जहां के पंचायत भवने 30 वर्ष पुराने व जर्जर हो चुके है तथा जहां भवनविहीन है, उन स्थानों पर नवीन पंचायत भवन निर्माण के लिए 9.20 करोड़ की स्वीकृति डीएमएफ से दी गई है। जिसमे पाली ब्लाक के 14 ग्राम पंचायतों को 2.80 करोड़ की स्वीकृति मिली है, जिनमे से कई पंचायतों के भवन सही सलामत व मजबूत हालत में है, जबकि ग्राम पंचायत डोंगानाला जहां भवन की नितांत आवश्यकता महसूस की जा रही है, उसे उपेक्षित रख दिया गया है। यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने बताया कि जिला प्रशासन को अनेको बार मांग पत्र देकर पंचायत भवन के जर्जर हालात व वर्तमान पंचायती कामकाज संचालन के वस्तुस्थिति से अवगत करा नए भवन स्वीकृति की मांग कर चुके है। किन्तु उनकी मांग को अबतक अमल में नही लाया गया। ऐसे में खुले मंच पर बैठक होने से न केवल बुनियादी सुविधाओं में कमी उजागर होती है, बल्कि बैठकों व ग्राम सभा सहित पंचायत का संचालन भी कठिन हो जाता है। इस गंभीर स्थिति में सरकारी योजनाओं के तहत जिला प्रशासन को यहां पंचायत भवन के निर्माण को स्वीकृति देनी चाहिए, ताकि ग्रामीण विकास के लक्ष्य को प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सके।

  • Manoj Thakur

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