Loksadan:- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने गरियाबंद के जिला अस्पताल में नर्स के स्थान पर एक महिला सुरक्षा गार्ड द्वारा एक मरीज को इंजेक्शन लगाने की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई की तारीख 17 सितंबर, 2025 से पहले 28 अगस्त, 2025 कर दी है। यह घटना तब सामने आई जब एक पूर्व नगरपालिका पार्षद ने अपने भतीजे के इलाज के दौरान इस कृत्य को रिकॉर्ड कर लिया। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी।
कलेक्टर ने जारी किया नोटिस
वायरल वीडियो के बाद गरियाबंद के कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वी.एस. नवरत्न और सिविल सर्जन डॉ. यशवंत ध्रुव को कारण बताओ नोटिस जारी किए। नोटिस में संभावित अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी गई। हालांकि उच्च न्यायालय ने संकेत दिया कि केवल ऐसे कदम पर्याप्त नहीं होंगे। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की पीठ ने मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि अयोग्य कर्मियों को इंजेक्शन लगाने की अनुमति देना चिकित्सा नैतिकता और पेशेवर मानकों का गंभीर उल्लंघन है, जो सीधे तौर पर रोगी सुरक्षा और सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जनता के विश्वास को खतरे में डालता है।