बीजापुर – “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़” अभियान के तहत भोपालपटनम ब्लॉक में भी मलेरिया जांच कार्य तेज़ी से जारी है। लेकिन इस आदिवासी बहुल अंचल में स्वास्थ्य टीम को खास किस्म की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, खेती- किसानी का मौसम होने के कारण सुबह होते ही ग्रामीण खेतों की ओर निकल जाते हैं, जिससे घरों में ग्रामीण नहीं मिल पा रहे हैं।
इस स्थिति ने जांच अभियान की गति को प्रभावित किया, लेकिन स्वास्थ्य टीमों ने हार मानने की बजाय, सोच में लचीलापन और कार्य में नयापन अपनाया। अब टीम के सदस्य गांव के गलियारों से निकलकर सीधे खेतों की मेड़ों पर पहुंच रहे हैं। जहां किसान धान की रोपाई में जुटे हैं, वहां स्वास्थ्य कर्मी भी मेडिकल किट लेकर खड़े मिलते हैं।
“अब जांच वहीं, जहां काम चल रहा है” स्वास्थ्य विभाग की नई नीति
स्वास्थ्य विभाग ने इस क्षेत्र में ‘वर्कप्लेस सर्विलांस’ का तरीका अपनाया है, जिसमें व्यक्ति को उसके कार्यस्थल यानी खेत, जंगल या चरागाह पर ही जाकर जांच की जा रही है। टीमें अब गांव के नक्शों से ज़्यादा खेतों के रास्तों को पहचानने लगी हैं। कंधे पर दवा- बक्सा, हाथ में स्लाइड और पीठ पर भरोसा लिए ये स्वास्थ्य योद्धा अब सुबह- सवेरे खेतों में पहुंच रहे हैं।
कभी कीचड़ भरी मेंड़ पर रुककर, कभी किसी पेड़ की छांव में बैठकर, तो कभी फावड़ा पकड़े ग्रामीण के पास खड़े होकर, टीम के लोग मलेरिया की जांच कर रहे हैं, दवा बांट रहे हैं और लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। शुरुआत में लोग झिझकते थे, लेकिन अब टीम की मेहनत देखकर खुद ग्रामीण जांच के लिए आगे आ रहे हैं। कई जगहों पर लोग खुद अपने साथियों को बुलाकर टेस्ट करा रहे हैं।
डॉ चलपति राव, बीएमओ, भोपालपटनम
“खेती का समय होने से ग्रामीण दिनभर खेतों में रहते हैं, जिससे गांव में मलेरिया जांच में कठिनाई आ रही है। ऐसे में हमारी टीम अब खेतों और कार्यस्थलों पर जाकर जांच कर रही है। हमारा प्रयास है कि कोई भी व्यक्ति जांच से वंचित न रहे। ग्रामीणों से सहयोग की अपील है ताकि हम मिलकर क्षेत्र को मलेरिया मुक्त बना सकें।”