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आयुष्मान कार्ड’—एक ऐसा नाम, जिसे सुनते ही गरीब और जरूरतमंदों के दिल में राहत की उम्मीद जागती है। यह कार्ड अब तक लाखों लोगों को इलाज में सहारा देता रहा है, लेकिन अब इसके भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में सिर्फ 2113 अस्पताल ही इस योजना में नए शामिल हुए हैं। यह संख्या बेहद कम है और यह दर्शाती है कि बड़े और निजी अस्पताल इस योजना से दूरी बना रहे हैं।
बड़ी वजहों में देरी से भुगतान और कम पैकेज रेट बताई जा रही हैं, जिसके कारण कई नामी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। इससे गरीब मरीजों को विशेष इलाज के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि इस योजना के तहत गरीब परिवारों को सालाना ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिल सकता है, लेकिन योजना से अस्पतालों का यूं दूरी बनाना गरीब मरीजों के लिए संकट की स्थिति पैदा कर रहा है।
जनता और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मांग है कि केंद्र सरकार को जल्द ही अस्पतालों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए, ताकि योजना का असली लाभ ज़रूरतमंदों तक पहुँच सके।